है सच कि ज़ाम- ए- इश्क़ में है नशा कमाल का

 

है सच कि ज़ाम- ए- इश्क़ में
है नशा कमाल का

मैंने पी भी ली और छलका भी दी
इक परी-जमाल का

गुजर गया फिर बातों - बातों में
हर लम्हा बिसाल का

छुपाये रखा हूँ दिल में अपने
फ़क़त शीशा ख़याल का

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