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उम्र-ए-रफ़्ता इश्क़-ओ-मोहब्बत ही कारोबार रही
वफ़ा के राहों में फिर भी आरजू-ए-यार-ए-ग़ार रही
हर कहानी में मुहज़्ज़ब ही अपनी किरदार रही
नाज़िर की नज़रों में फिर भी ये गुनहगार रही
वफ़ा के राहों में फिर भी आरजू-ए-यार-ए-ग़ार रही
हर कहानी में मुहज़्ज़ब ही अपनी किरदार रही
नाज़िर की नज़रों में फिर भी ये गुनहगार रही
कश्मकश से भरी जिंदगी की भी रहगुज़ार रही
दिल ने हँसकर कुबूल कर ली उसे चाहे
वफ़ा-ए-यार रही की जफ़ा-ए-यार रही
उम्र-ए-रफ़्ता : वो जीवन जो बीत चुका हो,
यार-ए-ग़ार - सच्चा मित्र
मुहज़्ज़ब - सभ्य, शिष्ट
नाज़िर - देखनेवाला, निरीक्षक
वफ़ा-ए-यार - beloved's constancy
जफ़ा-ए-यार - inconstancy of the beloved
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