दिल के शज़र के जख़्मों को रुख़सत न कर सके

 


दिल के शज़र के जख़्मों को रुख़सत न कर सके
दिल कर लिए बहशत पर शिकायत न कर सके

'इबादत ही कर लिए ग़र मोहब्बत न कर सके 
रिश्तों में दिल के हम मगर तिज़ारत न कर सके


तिज़ारत  - व्यापार, व्यवसाय,

बहशत  उजड्डपन ,उदासी, वीरानी , तन्हाई


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