जिनको समझा था राहत ए जां


जिनको समझा था राहत ए जां
देने वो मुझको आज़ार आये
सुनकर मेरी अब दर्द ए वफ़ा
कुछ उनको भी क़रार आये

हम अहल ए दिल के नसीबों में
फ़क़त दर्द भरे किरदार आये
चाहत के काँटों में लिपटे
दिल- ग़िरफ़्ता हम बेज़ार आये

लिखे जो ग़म मोहब्बत के
कितने फिर ग़मख्वार आये
शे'र ओ सुख़न के ज़ानिब से
दिल के सारे बीमार आये

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