ख़ुदा जाने किसको इश्क़ क्या कर दे

ख़ुदा जाने मरज़-ए-इश्क़ किसको क्या कर दे
किसी को हीर तो कभी किसी को राँझा कर दे

तासीर-ए-'इश्क़ किसी दिल को पाकीज़ा कर दे
तो 'इश्क़-ए-इलाही किसी बन्दे को ख़ुदा कर दे

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