इस क़दर भी न ग़ुनाह कर



इस क़दर भी न ग़ुनाह कर
कि ख़ुदा को मुँह भी न दिखा सके

दाग़ दामन पर लगे और
ता-'उम्र तू फिर न मिटा सके

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.