इस दिल-ए-नादाँ को जाम-ए-'इश्क़ की लत लगा

 


इस दिल-ए-नादाँ को 
जाम-ए-'इश्क़ की लत लगा 
ख़त में लिखा है उसने आज  
कि उसे इससे अब कहीं ए'तिराज़ है 

सर्द हवाओं ने बढ़ा दी है 
इधर इस दिल की तिश्ना-लबी
अब यकीं साक़ी को कैसे दिलाये 
कि इस दिल को उसका ही एहतियाज है 

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