रोज देता है तू हमें एक नया पैकर

 

रोज देता है तू  
मुझे  एक नया पैकर
नया चेहरा नई सांसे
रोज ही तू एक 
नया जहां बनाता है

नज़र - पोशीदा है ख़ुदा
तेरी हर  क़ारीगरी मगर 
हर शय कुछ बदली
सी नज़र आती है

मुसव्विरी सारी तेरी 
फ़क़त ये तू ही जाने
रोज कैसे तू एक नई 
तस्वीर-ए-जहां बनाता है

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