मेरे शहर में चाँद तो यारों उजालों में दिन के निकलता है

 

देख के जिसको इस
दीवाने का ये दिल बहलता है

उसको ग़र न देखूँ तो फिर
कोई खंजर दिल पे चलता है

सो जाता है रात में घर में
वो शाम को छत पे टहलता है

मेरे शहर में चाँद तो यारों
उजालों में दिन के निकलता है

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