बज़्म-ए-जन्नत-ए-कश्मीर



देर तक चलता रहा कल ख्वाबों में
बर्फ की चादर थी फैली राहों में

वादियों में खो गया दिल इस क़दर

जन्नत ए कश्मीर थी निगाहों में

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