मेरी ताकत को ये ज़माना

 

मेरी ताकत को ये ज़माना
मुसलसल ही आजमाता रहता है

नादाँ किसी ख़ाक को फ़क़त
ख़ाक में ही मिलाता रहता है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.