न कोई सजा ही मुक़र्रर करता है


न कोई सजा ही मुक़र्रर करता है
और न ही मुझे वो मु'आफ़ करता है

एक अर्से से कटघरे में खड़ा कर रखा है
मेरा मुंसिफ़ सबसे हटकर इन्साफ करता है

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