मिलेगी धुप भी सफ़र में



मिलेगी धुप भी सफ़र में 
शज़र एक साथ रख चलो 
साज़-ओ-सामान के साथ 
थोड़ी  बरसात रख चलो 

गुजारने के लिए कुछ
 दिन- रात रख चलो 
अपनों के साथ गुजरे 
चंद लम्हात रख चलो 

मिलेंगी आँधिया भी 
बेशक़ इस सफ़र में 
हौसलों के जबल, ख़ुदा 
की इनायात रख चलो  

मंज़र मिलेंगे नए- नए 
राहों में बाहें फैलाये हुए 
उन रहबरों के वास्ते 
कुछ सौगात रख चलो 

नहीं है फ़ा-इ-ला-तुन, फ़ा-इ-लुन
बे- क़ाफ़िया है मेरे अशआर 
मगर मेरे इन अशआरों से 
मेरे जज़्बात रख चलो 

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