राह ए जिंदगी में ग़र मुझे हम-नवा करे कोई

 


राह ए जिंदगी में ग़र मुझे हम-नवा  करे कोई 
इस क़दर राह ए वफ़ा में न फ़ासला करे कोई 

 'अहद-ए-वफ़ा ग़र करे तो बेहतर है बशर 
मुसलसल इस दिल को न ग़मज़दा करे कोई 

ज़हर ए ग़म हर जिंदगी में शामिल है यहाँ 
सहरा में फ़क़त मुस्कुराकर मिला करे कोई 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.