सदाए जो भी तुझे देता हूँ दिल से ए दोस्त


सदाए जो भी तुझे
देता हूँ दिल से ए दोस्त

बे-जान इन पहाड़ों से
टकरा के लौट आती है

ग़ुम हो तुम इन हसीं
वादियों में जाने कहाँ

हवा में खुशबू मुझे
तेरी सम्त खींचे जाती है

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