फिर एक बेटी के लहू से

फिर एक बेटी के लहू से
ये वतन लहूलुहान है
खो रही इसकी बेटियां
ये बैचेन है परेशान है

मर गई है इंसानियत कहीं
आज मर गया इंसान है
चलती फिरती लाशें है सब
सारा शहर लगता शमशान है

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