हो चुकी इस दिल को मेरी
अब है आदत आपकी
जाने क्यू जाती नहीं है
इस दिल से चाहत आपकी
अश्क बनकर ख़्वाहिशें भी
बरस जाती है इन आँखों से
उमड़ आते है यादों के बादल
जब बे-निहायत आपकी
मैंने तो जो भी लिखा
है सब इनायत आपकी
करती है दिल की क़लम
हर पल इबादत आपकी
है सब इनायत आपकी
करती है दिल की क़लम
हर पल इबादत आपकी
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