ऐब हो या कि हुनर हो मुझमे

 ऐब हो या कि हुनर हो मुझमे 

रहती यूँ शाम ओ सहर हो मुझमे 
आइना देखता हूँ तो तुम नज़र आती हो 
दिल ओ दिमाग पर छाई इस क़दर हो मुझमे 

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