दाइम-उल-हब्स रिसालों के

 

दाइम-उल-हब्स रिसालों के 
सहते रहते  दिलकश अलफ़ाज़  
 ग़ज़ल गायिकी से अपनी मगर 
 अंधेरों में उन्हें खोने न दिया  

  है यही दुआ बशर की 
 उन्हें उम्र मेरी  bhi लग जाये 
जिनकी ग़ज़लों ने दिलो को 
तनहा  कभी होने न दिया  

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