यूँ जो लिखते रहते हो तुम

यूँ जो  लिखते रहते हो तुम
 मेरे दर ओ दीवार पर 
मोहब्बतों के  पैगाम बगैरह 

तुम्हारे कारनामो से 
हमारे सर पे आये है 
कई इलज़ाम बगैरह 

अच्छा होता कर लेते 
पेंटिंग वेटिंग छोटा मोटा 
कोई काम बगैरह 

जानते नहीं तुम 
बिना सोचे समझे 
यूँ राज़ ए दिल बयां 
करने के अंजाम बगैरह 

इज़्तिराब ए इश्क़ में 
लिख दो न  कहीं तुम 
किसी हसीं का नाम बगैरह 

बशर तेरे आदतों से 
हो न जाये गुमनाम कोई 
बेबजह  बदनाम बगैरह

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