ग़ज़ल : खुश रहो तुम ये दुआ रब से करते हैं हम


खुश रहो तुम ये दुआ रब से करते हैं हम

तुमसे तो बात भी करने को तरसते हैं हम

मेरेआँखों में अभी तक है तेरे चाहत का जूनून
मेरी पलकों से बरसते हैं हमेशा शबनम

मेरे ख्वाबों में चली आओ परी-वश बनके
जिंदगी तेरे लिए सहते हैं कितने ही गम

मैं तेरा अक्स हूँ समझो न जुदा तुम खुद से
दिल ही दिल में सह रहे हैं जुदाई का शितम



                                                                                                                                                  

(परी-वश :- परी की तरह ख़ूबसूरत)

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