एक ख़ुमार भरी एह्सास हो तुम
जिसकी खुशबु दिलो दिमाग में
मुसलसल रहती है तेरी आरजू बन के
एक खूबसूरत खवाब हो तुम
हर पल आँखों में रहकर जो
जगाये रखती है तेरी जुस्तजू बन के
एक नगमा - ए - मोहब्बत हो तुम
जिसके हर लब्ज़ मेरे होठो पे
सजे रहते है शबनम की
जिसकी खुशबु दिलो दिमाग में
मुसलसल रहती है तेरी आरजू बन के
एक खूबसूरत खवाब हो तुम
हर पल आँखों में रहकर जो
जगाये रखती है तेरी जुस्तजू बन के
एक नगमा - ए - मोहब्बत हो तुम
जिसके हर लब्ज़ मेरे होठो पे
सजे रहते है शबनम की
मीठी बूंदो की तरह
किसी फ़क़ीर की मुफलिसी में
मिली जेवर हो तुम
किसी फ़क़ीर की मुफलिसी में
मिली जेवर हो तुम
छुपाये फिरता हो दामन में लिए
जिसे मोती - मुंगो की तरह
एक हसीन मंजर हो तुम
एक हसीन मंजर हो तुम
जिसकी एक झलक पाने के लिए
अपने मंज़िल को भूल
हज़ारो करवा रुक जाते है
खुदा की बंदिगी में लिखी
अपने मंज़िल को भूल
हज़ारो करवा रुक जाते है
खुदा की बंदिगी में लिखी
किसी शायर की सूफी कलाम हो तुम
हरेक हर्फ़ में जिसके अमन की इल्तिज़ा हो
सज़दे में सर खुद -ब -खुद झुक जाते है
मुख़्तसर बयां कैसे करू
बाकी है कई बातें अभी
लिखने को तेरे सिफ़त में
कोशिस तो मैंने पूरी की
अल्फ़ाज़ ही कमतर हो सी गई
दिल के जज़्बातो के निस्बत में
सज़दे में सर खुद -ब -खुद झुक जाते है
मुख़्तसर बयां कैसे करू
बाकी है कई बातें अभी
लिखने को तेरे सिफ़त में
कोशिस तो मैंने पूरी की
अल्फ़ाज़ ही कमतर हो सी गई
दिल के जज़्बातो के निस्बत में
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मुसलसल - निरंतर, लगातार
जुस्तजू -तलाश ,अकांक्षा ,खोज
मुफलिसी - गरीबी
हर्फ़ - अक्षर
इल्तिज़ा -प्रार्थना
मुख़्तसर -संक्षेप में
सिफ़त -प्रशंसा ,गुण
निस्बत -तुलना ,समता ,बराबरी
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