वो दर्द है या फिर दवा है
वो क्या है
जो दिल में अबतक दबा है
वो क्या है
कभी आहें बनके निकलता है
कभी आँशु बनके छलकता है
क्यू ये दर्द दिल से फिर भी
निकलता ही नहीं
एक बर्फ सी जम गई है
सिने में तेरी यादे
तेरी हँसी, तेरी बाते
वो क्या है
कभी गुलो सा महकता है
कभी शूलों सा चुभता है
आफ़ताब सीने में
दहकता तो है
क्यू ये बर्फ एहसासो का
पिघलता ही नहीं
वो क्या है
जो दिल में अबतक दबा है
वो क्या है
कभी आहें बनके निकलता है
कभी आँशु बनके छलकता है
क्यू ये दर्द दिल से फिर भी
निकलता ही नहीं
एक बर्फ सी जम गई है
सिने में तेरी यादे
तेरी हँसी, तेरी बाते
वो क्या है
कभी गुलो सा महकता है
कभी शूलों सा चुभता है
आफ़ताब सीने में
दहकता तो है
क्यू ये बर्फ एहसासो का
पिघलता ही नहीं
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