फिर क्यू बरस रहा है दिल
कोई प्यास भी नहीं है
फिर क्यू तरस रहा है दिल
वो कौन सा गम है
जिससे उदास रहता है दिल
वो कौन है हमदम
जिसके पास रहता है दिल
ये कैसा नशा है
जो चढ़ता ही जा रहा
ये कैसा सैलाब है
जो बढ़ता ही जा रहा
एक अजीब दौर से
गुजर रहा है दिल
न जी रहा है दिल
न मर रहा है दिल
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