सफ़र में ही रहते
मंजिल नज़र नहीं आते
बहार तो आते
गुज़श्ता सालों की तरह
चमन के फूलों में
खुशबू -वो -रंगत , नज़र नहीं आते
शज़र के शाख़ भी हिलते
बाद -ए -सबा के गुजरने से
हरकतों में वो नज़ाकत, नज़र नहीं आते
नग़्मे गाए तो जाते
महफ़िल -ए -शमा में लेकिन
दीदार -ए -ख़ुदा हो सके जिससे
फ़नो में वो हुनर , नज़र नहीं आते
तुम जिंदगी में ग़र नहीं आते
गुज़श्ता - पिछला, गुजरा हुआ
बाद -ए -सबा - सुबह की पूर्व से चलने वाली हवा
Excelent
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