वो रोज पढता है मुझे किसी क़िताब के पन्ने की तरह



वो रोज पढता है मुझे
बड़ी सिद्दत से किसी 
क़िताब के पन्ने की तरह

मैं  रोज उसे एक 
नग़्मा-ए-मोहब्बत
बयां करता हूँ 

मुझमे दफ़्न है कई
तक़दीर के लिखे नग़्मे

लबों पे लाकर उसके
दिल में फ़ना करता हूँ 

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