तमाम ख़ूबसूरत चेहरे है
तेरे इस जहां में लेकिन
इन आँखों को तेरे सिवा
कोई सच्चा रहबर नहीं दिखता
बसर तो कर लेगा ये बशर
तेरी इस दुनिया में भी मगर
मक़ाम इस दिल को पाकीज़ा
एक दिल से बेहतर नहीं दिखता
बसर - गुज़ारा,
बशर - इंसान
रहबर : राह दिखाने वाला
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Anything to comment regarding the article or suggestion for its improvement , please write to me.