इस देश को अब घटने न देंगे इस देश को अब बँटने न देंगे


आओ मनाये जस्ने आज़ादी
और याद करे उन वीरो को
उन भारत माँ के लालो को
उन सपूतो को उन शेरो को

जब बैरकपुर की छावनी से
मंगल पांडेय ने क्रांति का
कर दिया आगाज था
सन संतावन में आज़ादी का
ये पहला उठा आवाज़ था

बिठूर की बेटी थी एक
नाम था जिसका मनुबाई
झांसी में ब्याही गई
रानी लक्ष्मी बाई वो कहलाई

बचपन बिता था तलवारो में
किस्मत ही जिसकी समर हो गई
अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते लड़ते
इतिहास के पन्नो में अमर हो गई

जिसने लड़कपन में ही
आज़ादी के कई सपने देखे
और चुन लिया आंदोलन को
जिसने उड़ाया अंग्रेज़ो का होश था ..

वो बहादुर नौजवान जिसने
जीवन के 18 सावन भी ना देखे
और चुम लिया फाँसी के फंदो को
वो प्यारा खुदी राम बोस था

जब जलियावाला बाग़ में घंटो
गोलिया बरसा डायर ने
इंसानियत की खून बहाई थी

तब वीर भगत सुखदेव राजगुरु 
ने  धमाका कर असेम्ब्ली हाल में
बहरी अंग्रेजी हुकूमत को
इंकलाब की धुन सुनाई थी


आज़ादी की बात हो और जुबां पर 
चंद्रशेखर आज़ाद का नाम न आये

काकोरी में जिसने ट्रेन को लुटा 
ब्रितानिया हुकूमत की नींव हिला दी
अल्फ्रेड पार्क में लड़ते रहे पर
आखिरी वक़्त तक हाँथ न आये

युवा सुभाष चंद्र बोस
जिन्होंने आज़ाद हिन्द फौज
का गठन किया
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान
अंग्रेजी सत्ता का दमन किया

सत्य अहिंसा के थे पुजारी
और सत्याग्रह की चक्रव्यूह रच दी
अहिंसा को ही शस्त्र बना
बापू ने आज़ादी की नींव रख दी

आज़ादी के सपने देखे
और हँसते- हँसते  जान दे दिये
ये देश सदा उनका आभारी रहेगा 
जिन्होंने  हम सबको हिंदोस्तान दे दिये

उनके सपनो का था कैसा सवेरा
हर डाल पे हो चिड़ियों का बसेरा
और  बैलो के गले में घंटियों की
गूंजती तान हो

खेतो में लहलहाते
फसलों को देख
किसानो के चेहरों पे
खिलता मुस्कान हो

आओ तिरंगे के सामने झुककर
जाती- धर्मो के भेद से हटकर
आपसी सारी रंजिशे भुलाकर
आज़ादी के दीप जलाकर
एक दूसरे को गले लगाकर
सिर्फ एक  हिंदोस्तानी बनकर

शपथ ले हम उन वीरो के
सपनो को कभी टूटने न देंगे
चाहे कितनी आंधी आये
तिरंगे को अब झुकने न देंगे

इस देश को अब घटने न देंगे
इस देश को अब बँटने न देंगे

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