वो गुल ही क्या कि जिसमे खुशबू ,रंगत कोई ख़ार न हो

 



वो गुल ही क्या कि जिसमे
खुशबू ,रंगत कोई ख़ार न हो 
वो दिल ही क्या किसी के प्यार में 
जो हुआ कभी बेक़रार न हो 

सिर्फ प्यार ही प्यार हो ऐसे 
रिश्ते में भी मज़ा नहीं आता  
वो रिश्ता ही क्या कि जिसमे  कभी
नोंक- झोंक थोड़ी सी तक़रार न हो 


ख़ार :  नुकीली और बारीक काँटा


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