मुझको मेरे वतन में अमन चाहिए

 

आशुंओ में न डूबा नयन चाहिए
हर चेहरा मुझे बे- शिकन चाहिए

न चमन चाहिए न गुल-बदन चाहिए
मुझको मेरे वतन में अमन चाहिए

अब गुलशन में गूंजे बस मोहब्बत की गीतें
हम- वतन साथ मिलकर नफरतों को जीतें

सियासत-दानो से मुझे एक वचन चाहिए
मुझको मेरे वतन में अमन चाहिए

हवाओं से कह दो अब बहाये न नफ़रत
की अब न डरेगा न झुकेगा ये भारत

अमन के राहों में गर तूफां भी आये
तो मिलकर लड़ेगा न हटेगा ये भारत

साथ मिलकर रहे साथ मिलकर बढे
हम- वतन, आतिश-ए-'इश्क़-ए-वतन चाहिए

मैं बेटा हूँ इसका ये मेरी माँ भारती है
ये मेरी सरजमीं है,मेरी जन्नत यहीं है

मैं जब भी बिदा लूँ, इस जहाँ से भी यारों
मेरे मिटटी को खाक-ए-वतन चाहिए

न चमन चाहिए न गुल-बदन चाहिए
मुझको मेरे वतन में अमन चाहिए










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