बड़े बे-आबरू लौटे थे उसके महफ़िल से हम कभी


बड़े बे-आबरू
 लौटे थे उसके 
महफ़िल से 
हम कभी 

दिल करता
 भी है ग़र
कभी वहाँ 
जाने को
तो अना रोक
देती है मुझे 

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