यूँ ही शक्ल ओ सूरत से हम बीमार लगते है



यूँ ही शक्ल ओ सूरत से हम
बीमार लगते है

पर ये न कहना
 मुझे कि तुम बिन
हम बेज़ार लगते है

और ग़मों से वास्ता अपना
तो बहुत पुराना है

तुम्हारे हिज़्र के दिन

अरे तुम्हारे हिज़्र के दिन तो
मुझे बहार लगते है

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