डूबकर इस दरिया में अब इसको पार करना चाहता हूँ

 

डूबकर इस दरिया में
अब इसको पार करना चाहता हूँ

है ग़र कोई हद- ए-इश्क़ तो
उस हद से गुजरना चाहता हूँ


एक अरसे से रुका हूँ
मेहमां बनकर उसके आँखों में

क़तरा - क़तरा अब मैं उसके
दिल में उतरना चाहता हूँ

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