दर-ब-दर लोग तुझे मकाँ - मकाँ ढूंढते है

 


दर-ब-दर लोग तुझे
मकाँ - मकाँ ढूंढते है

जहां में लोग तुझे जाने
कहाँ - कहाँ ढूंढते है

कहींआशियाँ तो कहीं
तेरा निशाँ ढूंढते है

तेरे रूप रंग मकाँ का
तो कोई ठिकाना नहीं

मिल ही जाता है तू उन्हें
दिल से जो तुझे
जहाँ - जहाँ ढूंढते है

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