अपने दिल के जज़्बात

 

अपने दिल के जज़्बात
उसे कह भी न सका था मै
देखा जो उसको मैंने तो
उन निगाहों में खो गया

उसके दर से जब उठा
तो मैकदों ने बुला ली
रात घर को जब चला तो
घर राहों में खो गया

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