खो गया जो ख़ुद ब ख़ुद किसी शय को पाने के लिए

 

खो गया जो ख़ुद ब ख़ुद
किसी शय को पाने के लिए
लोग उस बन्दे को अब
पागल समझते है यहाँ

समन्दरों से उठता है जो
आफ़ताब के दहकने से
कुदरत के इस करिश्मे को
बादल समझते है यहाँ

मैंने तो जो भी कहा
सब आपके ही ख़्याल थे
लोग सुनकर के इसे
ग़ज़ल समझते है यहाँ

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