सरहदों के पासबाँ का बस यही है दास्तां



सरहदों के पासबाँ का
बस यही है दास्तां
सरजमीं के वास्ते वे
छोड़ जाते है जहां

वतन ही उनका इश्क़ है
वतन ही उनका प्यार है
शहीदों के फ़ेहरिस्त में
नाम जिनका शुमार है

सज रहा होता है जब
तिरंगे से उनकी चिता
मौन होकर देखता वक़्त
रो रहा होता ख़ुदा

दिल में उनके सरफ़रोशी
जान ओ तन करते फ़िदा
इतिहास के पन्नो में अमर
अपनी छोड़ जाते है निशां

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