जबतलक सांसे है मुझमे

जबतलक सांसे है मुझमे 
जबतलक ये जिंदगानी है 
जबतलक रगों में मेरे 
सुर्ख लहू की रवानी है 

बहता रहेगा लहू में घुलकर 
वतन परस्तिश मुझमे बशर '
धड़कनो में गूंजती रहेगी 
कि ये दिल फ़क़त हिन्दोस्तानी है

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