बेसबब ही नहीं हम बशर यूँ

बेसबब ही नहीं हम बशर यूँ 
दश्त ओ सहरा के हवाले हुए है 
मोहब्बत के खूबसूरत डगर पर 
किसी के दिल से निकाले हुए है 

गुम हो जाते ग़मों के सहरा में 
हम कभी के औरों की तरह ही 
दिल लगाकर मगर हम ग़ज़ल से 
अपने इस दिल को संभाले हुए है 

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