माँ तुम फिर से आओ न मुझे बेटा कहके बुलाओ न



माँ तुम फिर से आओ न
मुझे बेटा कहके बुलाओ न
अपने आँचल में लेकर तुम
बचपन की लोरी सुनाओ न

तबियत मेरी बिगड़ने पर
तुम मेरी नज़र उतारती थी
माथे पे चुम्बन लेकर तुम
बालों को फिर सवांरती थी

आँचल से पोंछकर चेहरे को
तुम काला टीका लगाती थी
आँखों से तुम अपनी मुझपर
आषीश दुआ बरसाती थी

मुझे याद है हर एक बात वो माँ
मै भूला नहीं कोई बात वो माँ

मुझे अपने दामन में लेकर
वो मीठी खीर खिलाओ न

माँ तुम फिर से आओ न
मुझे बेटा कहके बुलाओ न


तेरी आँखों ने मुझमे माँ
साहस की लहर जगाई थी
जब ऊँगली तेरी पकड़ के माँ
मैंने पहली कदम बढ़ाई थी

सब कहते है मै बड़ा हो गया
अपने पैरो पे खड़ा हो गया

जीवन पथ पर चलते चलते
गिरकर उठते उठकर चलते
अब सुबह से शाम भी हो गई माँ
सारे तो नहीं थोड़े ही सही
जीवन के काम भी हो गई माँ

आने वाली है काली रात
डराने वाली है काली रात

रातों में डरकर मै तेरी
आँचल में ही सो जाता था
तेरी ममता की छाया में
सुख सपनों में खो जाता था

मुझे फिर से ममता की अपनी
आँचल में तुम छुपा लो न
मै चैन की नींद सो जाऊंगा
मुझे दामन में सुलाओ न

माँ तुम फिर से आओ न
मुझे बेटा कहके बुलाओ न



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