ए नींद तुझे अमीरी गरीबी में फ़र्क़ करना नहीं आता


ए नींद तुझे अमीरी गरीबी में
फ़र्क़ करना नहीं आता


मुफ़लिस के घर के वो
टूटी चारपाई आज भी
तुझे अच्छी लगती है

रईस ए शहर के
दिलकश आरामगाहों से

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