पिछले सावन की मेरी अधूरी
सब ख़्वाहिश बरस रही है
मेरे छत पर मेरे हिस्से की
बेसबब बारिश बरस रही है
रोने लगा आसमां देखकर शायद
ख़ुश्क-लब ये जमीं तरस रही है
कंक्रीट के जंगल को क्या पता
या रब तेरी परस्तिश बरस रही है
जाने कब रूठकर चले जाये
ये प्यारे बादल बस्ती से दूर कहीं
खिड़की खोलकर देखो बाहर
ग़ज़ब बारिश बरस रही है
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