आये नन्द के घर नन्दलाल

 

मेरे कान्हा आये नन्दग्राम
यशोदा को बधाईयाँ मिले
आये नन्द के घर नन्दलाल
खुशियों के फूल खिले

मइया यशोदा बलइयां उतारे
कजरा लगाए कभी मुँह पुचकारे
बाल सवाँरे कभी रूप निहारे
लागे मोरे लाल को उमरिया तमाम
मन ही मन मइया बोले

पकड़ी गई जब माखन चोरी
बोले कन्हैया वो मइया मोरी
माखन मैं नहीं खायो कसम से
मुँह में माखन लगायो सब जलन से
छीको है ऊपर और हाथ छोटो है
मुँह खोल दिखायो सारा जहान
कन्हैया बन के भोले

माखन चुराए गोपियन को सताए
कदम के डारि बैठ मुरली बजाए
बाल सखा संग यमुना के तट पर
अब सुबह से हो गई शाम
मइया का ह्रदय डोले

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