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ये सोचकर कश्ती-ए-दिल मेरा गुमां में रहता है
की हर वक़्त ये मोहब्बत के तूफां में रहता है
ख़ुतूत सारे तुझे लिखे मैंने आसमां को देख कर
है मसीहा हमदर्द कोई जो आसमां में रहता है
एक किरायेदार सा जां मेरा एक अरसे से
मिटटी के बने इस शिकस्ता-मकां में रहता है
रवादारी वफादारी ख़ाकसारी ईमानदारी
यूँ तो जन्म से ये सारे हर इंसा में रहता है
इस जहां को देखकर फ़ना के करीब जाते हुए
पासबाँ भी हर वक़्त पशेमाँ में रहता है
की हर वक़्त ये मोहब्बत के तूफां में रहता है
ख़ुतूत सारे तुझे लिखे मैंने आसमां को देख कर
है मसीहा हमदर्द कोई जो आसमां में रहता है
एक किरायेदार सा जां मेरा एक अरसे से
मिटटी के बने इस शिकस्ता-मकां में रहता है
रवादारी वफादारी ख़ाकसारी ईमानदारी
यूँ तो जन्म से ये सारे हर इंसा में रहता है
इस जहां को देखकर फ़ना के करीब जाते हुए
पासबाँ भी हर वक़्त पशेमाँ में रहता है
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