अब तुम दवा कर दो न
मेरे खातिर फ़क़त ये
रस्म-ए-वफ़ा कर दो न
कहना है जो कुछ बेशक़ कह दो
बिना किसी पस-ओ-पेश के तुम
सुनो | ऐसा करो
तुम अपनी यादों को मेरे
इस दिल से जुदा कर दो न
वो हिदायते वो शिकायते
वो रि'आयते वो इनायतेँ
यादों के हर लम्हों ने लिखे
थे मोहब्बतों के हिक़ायते
मासूम इस दिल का
मोहब्बत का भरम रख लो न
या फिर इस दिल को तुम
मोहब्बत से रिहा कर दो न
जल रहा है दिल मेरा
अब तक शब-ए-हिज्र में
चराग़-ए-आख़िर-ए-शब की तरह
इस दिल की तिश्नगी के लिए
अपने दिल को तुम एक पल के लिए
दरिया-ए-वफ़ा कर दो न
किसी कश्ती के मानिंद
मेरा ये दिल तुम्हारे
ख्वाबो- ख्यालों में
खोया रहता है हर पल
तुम्हारे खामोशियों की ख़लिश
रोक न दे इस दिल की जुंबिश
ग़म- ए- हिज़्र में खुश्क
गोया ये रहता है बेकल
अहल-ए-दिल तुम
दर्द-आश्ना हो तो
इस दर्द- ए- दिल की
शिफ़ा कर दो न
मेरे खातिर ये
रस्म-ए- वफ़ा कर दो न
दर्द-ए-इश्क़ को मेरे
अब तुम दवा कर दो न
तुम अपनी यादों को मेरे
इस दिल से जुदा कर दो न
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पस-ओ-पेश - असमंजस, सोच-विचार
हिदायत -- आदेश, समझाना, सलाह,
रि'आयत - छूट, नर्मी, दयापूर्ण व्यवहार
'इनायत - दया, कृपा,
हिकायत - किसी दिलचस्प घटना का विवरण, कहानी, क़िस्सा, दास्तान,
शब-ए-हिज्र - विरहरात्रि,
चराग़-ए-आख़िर-ए-शब - Lamp of the end of night
बेकल - बेचैन, अशांत, व्याकुल
ख़लिश - चुभन, कसक, टीस,
जुंबिश - गति, कम्पन
खुश्क - सूखा, रूखा, फीका,नीरस,
ग़म- ए- हिज़्र - वियोग का दुःख, वियोग की पीड़ा
अहल-ए-दिल - उदार लोग, दानशील, प्रेम करने वाले
दर्द-आश्ना - दुख-दर्द से परिचित, सहानुभूति रखने वाला व्यक्ति
शिफ़ा - उपचार, इलाज, चिकित्सा,
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