मैं पैसा हूँ जनाब मेरा एहतराम कीजिये


यूँ तो मेरे पर नहीं है मगर
हर पल उड़ता रहता हूँ मैं
नहीं किसी के पास तय
वक़्त से ज्यादा ठहरता हूँ मैं

अमीरी के आँगन में तो
मेरा शजर होता है
मुफ़लिसी का मेरे बिन
बस गुजर - बसर होता है

मैं ग़र पास होता हूँ
तो ऐब भी छुप जाते है सारे
अरे, मेरे पास न रहने पर तो
अपने भी कर लेते है किनारे

मुझसे ही इंसानों की खुशियां है
मुझसे ही इंसानों का जीवन है
मुझसे ही इंसानों के रिश्ते - नाते
बनते दोस्त और दुश्मन है

कोई शराबों में मुझे बहाता है
कोई शबाबों में मुझे लुटाता है
जो मेहनत से मुझे कमाता है
फ़क़त दो रोटी ही खा पाता है

जिंदगी कि गाड़ी मेरे बिन यहाँ
एक पल में रुक जाती है
क्या अमीरी क्या गरीबी
अरे, मेरे आगे तो सब झुक जाती है

मिल जाऊ ग़र किसी मुफ़लिस को
तो पल भर में किस्मत बदल देता हूँ मैं
अरे मुझे पाने की चाहत में तो
अच्छे- अच्छों की नियत बदल देता हूँ मैं

सब मेरे ही दीवाने है
मेरे बिन तो सब अनजाने है

मेरा स्वभाव बड़ा ही चंचल है
सब मेरे पीछे ही तो पागल है

ये तमाम ब्यापार- कारोबार
भ्रष्टाचार-लूट मार
अरे, मैं ही तो करवाता रहता हूँ

मेरे बजह से कई पुरानी
शोहबत भी छूट जाती है
मेरे न होने पर कई दीवानी
मोहब्बत भी रूठ जाती है

मैं इंसानों को मिलाता भी हूँ
और कभी जुदा भी कर देता हूँ
मैं फर्श से अर्श पर लाकर
कभी-कभी खुदा भी कर देता हूँ

जब तलक इंसा जिन्दा है
करता ही रहता मेरा इज़्ज़त है
अरे, मैं ही तो करवाता रहता हूँ
उससे ये सारे फरेब

मगर साँसे रुकते ही
एक पल में मेरी सारी कीमत
उसके लिए सिफर हो जाती है
अरे, कफ़न में कहाँ होती है कोई जेब

इन्सां मुझे जेब में रखता है
और मैं इंसा को
दोनों एक दूजे के बिन
बेशक़ अधूरे है

मैं कोई ख़ुदा नहीं हूँ मगर
इंसानों के लिए ख़ुदा से कम नहीं हूँ
इंसा ने कभी मुझे बनाया था
मगर अब इंसा मेरे कैद मैं है

इसलिए मैं जब भी मिलूं आपसे
मुझे झुक कर सलाम कीजिये
मैं कोई ऐसा वैसा नहीं हूँ
मैं पैसा हूँ जनाब
मेरा एहतराम कीजिये

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