मेरे देश को न मज़हबी दीवार दे कोई

 


मेरे देश को न मज़हबी दीवार दे कोई
शहर- शहर दंगे न बलात्कार दे कोई

हर शख़्स के हाथों में रोजगार दे कोई
शहीदों के गुलिश्तां को बहार दे कोई

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