मेरे कलम को ये किरदार करना आ गया

 

दौर-ए-हर्फ़ जीना और मरना आ गया
लब्ज़ ए दर्द का ब्यापार करना आ गया


जाने किस साहिब-ए-कलाम की नवाज़िश है
मेरे कलम को ये किरदार करना आ गया

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