इंसानियत में ख़ुदा को देखता हूँ

 

इंसानियत में
ख़ुदा को देखता हूँ
मेरे लिए ख़ुदा का
दूसरा और कोई ज़ात नहीं है

बुत-परस्ती तो
मेरे ख़ूँ में हीं है
तुम्हारी 'इबादत
मेरे लिए नई कोई बात नहीं

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