ग़ज़ल-गोई मैंने कहीं सीखी नहीं


ग़ज़ल-गोई मैंने कहीं सीखी नहीं
मेरी क़लम तो ग़ज़ल की दीवानी है

दिल-ओ-जां का रिश्ता निभाएंगे हम
रगों में जब तलक लहू की रवानी है

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